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योग दिवस पर पढ़ें 2 कुण्डलिया छंद

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कुण्डलिया छंद 1

योगी मन को साधिए, तन-मन रहे निरोग।

प्राण शक्ति संचार हो, तन-मन का हो योग।

तन मन का हो योग, रोग, पीड़ा सब भागें।

दृढ़ होता विश्वास, भाव शुभ मन में जागें।

होता सत्यानाश, बने जो जीवन भोगी।

पावन हो हर श्वास, निकट प्रभु के हो योगी।

कुण्डलिया छंद 2

जीवन को सुखमय करे, अष्ट योग का ध्यान।

विश्व करे अभ्यास अब, पाए सुख-सम्मान।

पाए सुख-सम्मान, रोग प्रतिरोधक जीवन।

नित प्रति कर अभ्यास, योग है कष्ट नशावन।

कह सुशील कविराय, योग मन का अभिनंदन।

है भारत की देन, योग से सुखमय जीवन।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)ALSO READ: योग: तन, मन और आत्मा के मिलन का विज्ञान...


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