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आज है कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी, संतान सुख पाने के लिए करें ये व्रत, पढ़ें पौराणिक व्रत कथा

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Krishnapingal Sankashti Chaturthi vrat katha: इस वर्ष कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी व्रत 14 जून, 2025 दिन शनिवार को रखा जा रहा है। यह तिथि आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया-चतुर्थी पर पड़ती है। इस बार उदयातिथि के अनुसार आज यह व्रत रखा जा रहा है। इस दिन श्री गणेश की पूजा करने से संतान की लंबी आयु तथा संतान सुख की प्राप्ति का वरदान मिलता है। आज के दिन यह कथा पढ़ने का विशेष महत्व धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है। यहां पढ़ें कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा...ALSO READ: कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी कब है, कैसे करें यह व्रत, जानें पूजन के मुहूर्त, विधि और महत्व

कथा:

धार्मिक मान्यतानुसार इस चतुर्थी की कथा को भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कही थी। उन्होंने कहा कि हे कुंतीपुत्र! आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी के गणेश जी का नाम लम्बोदर है। द्वापर युग में माहिष्मति नगरी में महीजित नामक राजा था। वह बड़ा प्रतापी और पुण्यवान था। वह प्रजा का पालन संतान की तरह करता था परंतु वह खुद संताननहीन था। समय व्यतीत होता चला गया और राजा की आयु क्षीण होती गई। राजा वृद्ध हो गया, किन्तु उसे संतान न प्राप्त हुई। तदोपरान्त राजा ने विद्वान ब्राह्मणों, ज्ञानीजनों एवं प्रजा से इस विषय पर विचार-विमर्श किया।

विद्वान् ब्राह्मणों और प्रजाओं ने कहा कि, "हे राजन! हम लोग वह सभी प्रयत्न करेंगे, जिससे आपके वंश की वृद्धि हो।" ऐसा कहकर सभी ब्राह्मण चले गए। वन में प्रजा और ब्रह्मणों को एक मुनिश्रेष्ठ तपस्या में लीन नजर आए। उनका नाम लोमश ऋषि था। प्रजा एवं ज्ञानीजन त्रिकालदर्शी महर्षि लोमश के दर्शन करने लगे और उनका आदर सत्कार करने लगे। इसके बाद प्रजा ने कहा, "हे ऋषिवर! हम लोगों के दुःख का कारण सुनिए, अपने कष्ट के निवारण हेतु हम लोग आपके समक्ष आए हैं।

महर्षि लोमश ने पूछा, "सज्जनों! आप लोग यहां किस कामना से उपस्थित हुए हैं?

प्रजाजनों ने उत्तर दिया, "हे मुनिवर! हम माहिष्मति नगरी के निवासी हैं। हमारे राजा का नाम महीजित है। वह राजा प्रजापालक है, परन्तु ऐसे उत्तम राजा को आज तक संतान प्राप्ति नहीं हुई है। हे महर्षि! आप कोई ऐसी युक्ति बताइए, जिससे राजा को संतान की प्राप्ति हो।

प्रजा की बात सुनकर महर्षि लोमश ने कहा, "हे प्रजाजनों! आप लोग ध्यानपूर्वक सुनो। मैं संकट नाशन व्रत का वर्णन कर रहा हूं। यह व्रत नि:संतान को संतान और निर्धनों को धन प्रदान करता है। आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी को एकदंत गजानन नामक गणेश जी की पूजा करें। पूर्वोक्त विधि से राजा व्रत करके श्रद्धापूर्वक ब्राह्मण भोजन कराएं और उन्हें वस्त्र दान करें। गणेश जी की कृपा से उन्हें अवश्य ही पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी।' महर्षि लोमश की यह बात सुनकर सभी लोग करबद्ध होकर उठ खड़े हुए। नतमस्तक होकर दंडवत प्रणाम करके समस्त प्रजा जन नगर में लौट आए। प्रजाजनों ने वन में घटित सभी घटनाओं का वर्णन राजा के समक्ष किया।

प्रजाजनों की बात सुनकर राजा बहुत ही प्रसन्न हुए तथा उन्होंने श्रद्धापूर्वक विधिवत गणेश चतुर्थी का व्रत करके ब्राह्मणों को भोजन वस्त्रादि का दान दिया। बाद में रानी सुदक्षिणा को गणेश जी कृपा से सुंदर एवं सुलक्षण पुत्र प्राप्त हुआ।

अंत में श्री कृष्ण जी ने कहा, हे राजन! इस व्रत का ऐसा ही दिव्य प्रभाव हैं। जो व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करता है, वह समस्त प्रकार के सांसारिक सुखों को भोगता है। हे महाराज! आप भी इस व्रत को विधिपूर्वक कीजिए। श्री गणेश जी की कृपा से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी। आपके संपूर्ण शत्रुओं का विनाश होगा तथा आपको अचल राज्य की प्राप्ति होगी। ALSO READ: भविष्यवाणी: ईरान में होगा तख्तापलट, कट्टरपंथी खामेनेई की ताकत का होगा अंत!

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।


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