पूजा के शुभ मुहूर्त:
सुबह का मुहूर्त: 04:02 से 05:32 के बीच।
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:52 से दोपहर 12:48 के बीच।
शाम का मुहूर्त: 07:16 से 08:18 के बीच।
गायत्री मंत्र का महत्व: यह परमेश्वर की प्रार्थना का मंत्र होने के साथ ही यह सूर्य मंत्र भी है। इस मंत्र को जपने से शक्ति का संचार होता है। इसे वेदों का सार और सभी मंत्रों का महामंत्र माना जाता है। नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और कई अन्य लाभ मिलते हैं। गायत्री मंत्र व्यक्ति के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जिससे वह जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना धैर्यपूर्वक कर पाता है।ALSO READ: गंगा दशहरा पर्व का क्या है महत्व?
गायत्री जयंती पूजा विधि : Gayatri Jayanti Puja Vidhi
1. गायत्री जयंती के दिन प्रात: नित्यकर्म से निवृत्त होकर माता गायत्री की मूर्ति या तस्वीर को पाटे पर पीले वस्त्र बिछाकर विराजमान करें।
2. फिर गंगाजल छिड़कर स्थान को पवित्र करें और सभी देवी और देवताओं का अभिषेक करें।
3. इसके बाद घी का दीपक प्रज्वलित करें और धूपबत्ती लगाएं।
4. अब माता की पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा करें।
पंचोपचार यानी पांच तरह की पूजन सामग्री से पूजा करने और षोडशोपचार यानी 16 तरह की सामग्री से पूजा करने। इसमें गंध, पुष्प, हल्दी, कुंकू, माला, नैवेद्य आदि अर्पित करते हैं।
5. फिर गायत्री मंत्र का 108 बार जप करें। और इसके बाद माता की आरती उतारें।
6. गायत्री माता की आरती के बाद प्रसाद बाटें।
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